बापू आज तुम्हारा जन्म दिन है।
काश तुम ज़िंदा होते तो शायद कई सवालों के जवाब दे देते। या शायद ना दे पाते।
बापू तुमसे पूछना था कि तुमको मारा तो गोडसे ने था पर उन ४००० हज़ार लोगो की क्या ग़लती थी जिंन्हे तुम्हारे चेलो ने ३० जनवरी से ५ फ़रवरी के बीच पूना और बॉम्बे मे ढूँढ ढूँढ कर मार डाला। केवल इसलिये कि वे गोडसे की तरह ही ब्राह्मण थे।
बापू तुमसे ये भी पूछना था कि तुम्हारे दिये गांधी सरनेम से राजनीति करने वाली तुम्हारी इंदु को दो सिखों ने तो मारा पर उन चार हज़ार सिखों की क्या ग़लती थी जिनकी गर्दनो मे जलते टायर डालकर तुम्हारे चेलो ने मार डाला । और फिर इनाम मे उन्हे मंत्री और मुख्यमंत्री बनाया जाता रहा।
बापू ये भी पूछना था कि मोपला मे किस अपराध पर लाखों हिंदुओं को जिहादियों द्वारा काट डाला गया । तुमने आलोचना करने की बजाय क़ातिलों का पक्ष लिया । क्यो बापू , क्यो किया ऐसा।
और बापू आपका तो कहना रहा है कि हर मनुष्य मे ईश्वर का वास है। फिर अंग्रेज़ों से देश को स्वतंत्र कराने मे जुटे भगतसिंह को फाँसी ना हो इसके लिये तुमने ज़रा भी प्रयास नही किया । क्या भगतसिंह मे ईश्वर नही बसता था। अंग्रेज़ तो सोच रहे थे कि तुम कहोगे तो वो भगतसिंह को फाँसी नही देंगे। आखिर क्यो भगतसिंह को शहीद होने दिया।
प्रश्न तो और भी है बापू .. जैसे कि नेहरूजी के प्रति इतना मोह क्यो कि प्रजातांत्रिक देश का पहला प्रधानमंत्री ही अप्रजातांत्रिक तरीक़े से चुना। वो ब्रह्मचर्य की परीक्षा लेने की बेतुकी ज़िद का प्रयोजन क्या था, और स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान के प्रति वो अनुचित आग्रह क्यो ।
और भी बहुत प्रश्न है बापू।
काश तुम आज होते और इन प्रश्नों का जवाब देते।
पर ख़ैर छोड़ो …
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